पर्यावरण प्रदूषण के कारण बहुत से पक्षी , तितलियाँ , की प्रजातियॉ आज विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है इसकी मुख्य वजह यह भी है की फल , फूल और छायादार वृक्ष ना लगाकर शोदार पेड़ ज्यादा लग रहे है । जबकि इनमे कुछ पेड़ हमारे स्वस्थ के लिए शुद्व वायु की जगह ज़हरीली वायु छोड़ते है और फिर भी हम जाने अनजाने इन्हे लगा रहे है । इन पेड़ो से ना तो पक्षियों को कोई भोजन मिलता है । ना ही आवास उपलब्ध होता है इसमें कुछ पेड़ो का हम उल्लेख कर रहे है
एलस्टोनिया स्कोलरिस
शहर के पार्को सड़को किनारे लगे एलस्टोनिया स्कोलरिस के पेड़ से अस्थमा , एलर्जी, सांस के रोग हो रहे है । एलस्टोनिया स्कोलरिस से निकलने वाले रसायन की बदबू के कारण इन पर ना तो चिड़िया बैठती है ना ही कोई जानवर इसे खाता है इसके पुष्पन के समय निकलने वाले परागकर्णो के ज्यादा समय तक सम्पर्कः में रहने से एलर्जी होती है यह श्वसन नाली को नुकसान भी पहुँचता है । और आप देखेंगे की पूरे शहर में सबसे ज्यादा अगर किसी एक प्रजाति के पेड़ लगे है। तो वो एलस्टोनिया स्कोलरिस ही है इस पेड़ से पर्यावरण को सिर्फ नुकसान ही है ।
फाइकस बेंजामिन
यहाँ पौधा इन्डोर एलर्जी का प्रमुखः स्रोत है । जो धूल और पालतू जानवरो के बाद इन्डोर एलर्जी का तीसरा सबसे आम कारण है आम एलर्जी के लक्ष्णों में रहिनोकॉन्ज़ किटविटिस और अलेर्जिक अस्थमा शामिल है पौधो के कुछ हिस्सो के सेवन से मतली , उल्टी , और दस्त होते है एलर्जी को पहली बार उन श्रमिकों के बीच देखा गया था जो नियमित रूप से पौधो को सभालते थे
यूकलिप्टस
यहाँ पेड़ अक्सर आपको रोड के किनारे लगे हुए दिख जायगे यहाँ पेड़ भीं पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है यहाँ पेड़ ज़मीन में मौजूद पानी और मिट्ठी के पोषक तत्वों का बुरी तरह दोहन कर बंज़र बना देता है और यहाँ पेड़ सीधा होने के कारण छाया भी प्रदान नहीं करता है
अशोक वृक्ष
अशोका का पेड़ शो के लिए लगाया जाता है वैसे तो आयुर्वेद के अनुसार यहाँ पेड़ ठीक है । पर पक्षियों या अन्य जीवो को इसका कुछ खास लाभ नहीं मिलता । यह पेड़ सीधा जाता है और टहनिया साइड में झुकी होती है जिसकी वजह से कोई भी चिड़िया इस पर घोसला नहीं बना पाती । इसी तरह शो के लिए पाम ट्री जैसे पेड़ भी लगाते है इसका भी पक्षियों या अन्य जीवो को कुछ खास लाभ नहीं होता ।
पक्षियों की संख्या कम होने में और कुछ प्रजातियों के विलुप्त होने में इन पेड़ो का भी योगदान है सिर्फ ये कहना की पक्षियों की संख्या मोबइल टावर , प्रदूषण की वजह से कम हुई है ये गलत है इसका मुख्या कारण है की हम सही वृक्षो को भी नहीं लगा रहे है । पहले तो हमारे पास पेड़ लगाने की जगह बहुत कम बची है और उसमे भी हमने ये उपरोक्त फ़र्ज़ी पेड़ लगा दिए है इसलिए अब हम कुछ फूलो के पेड़ो का आगे ज़िक्र कर रहे है जिन्हे हमे अपने पार्को रोड के किनारे लगाने की आवश्कता है इनसे शहर भी खूबसूरत दिखेगा और पक्षियों , तितलियाँ की संख्या और उनकी बहुत सी विलुप्त होने वाली प्रजातियॉ बचेगी ।
1- अमलतास
मेरठ कैंट में आपने इन्हे अपनी रोड के किनारे लगा देखा होगा जिन पर अक्सर पीले रंग के फूलो के गुच्छे जो देखने में अंगूर के गुच्छे जैसे लगते है इन्हे अमलताश कहते है । इन्हे हमे पार्को में भी लगाना होगा । इसके अलावा इसे बानर ककड़ी राजवृक्ष आदि नामों से भी जाना जाता है अप्रैल , मई माह पर यह पेड़ पीले फूलो के गुच्छे से चर जाता है
2- जरूल
अप्रैल – मई और जुलाई – अगस्त माह में सभी शाखाओ के अंत में पुरपलिश कलर के फूल आते है और पूरा पेड़ दूर से पर्पल कलर के छाते जैसा दिखता है । इसके पौधे को गमले में भी अच्छे से ग्रो किया जा सकता है ।
3- कचनार
कचनार की कली का प्रयोग खाने मे भी किया जाता है , इसका आचार भी बनाया जाता है । इसके फूलो की भी सब्जी बनती है और आयुर्वेद के अनुसार इसके बहुत से लाभ है ।इसके खुशबूदार और purple,pink white कलर के फूल हर किसी का मन मोह लेते हैं ।
4- सेमल
इसे सिल्क कॉटन ट्री भी कहा जाता है जिसकी ऊंचाई 15-20 मीटर से भी ज्यादा हो सकती है । हिन्दी मे इसे सेमल कहा जाता है , पुराने कैंट के इलाकों , रेलवे लाइन के किनारे यह आपको अक्सर दिख जाते होंगे ।
इस पेड़ के कई भागों से उपचार हेतु कारगर औषधि भी बनाई जाती है ।
जाड़ों मे इसमे लाल रंग के फूल दिखते हैं पर कुछ पेड़ पीले , नारंगी , हल्के लाल रंग के फूल भी आते हैं ।
इसकी कली गोल्फ बॉल जीतने आकार कि होती है जिससे स्वादिष्ट सब्जी भी बनाई जाती है ।इनके फूल जब आते हैं तब पेड़ पर एक भी पत्ती नहीं दिखती है , फूलों के झड जाने के बाद नई पत्तियाँ आना शुरू होती है
5- पलाश
गंगा और यमुना के दोआब वाले इलाके मे ये हजारों सालों से पाये जाते रहे हैं धीरे धीरे खेती के लिए जमीन तैयार करने के लिए काटे जाने से अब बहुत कम ही दिखते हैं ।
होली के बाद गर्मियों मे इसके लाल नारंगी रंग के फूल जंगल मे आग जैसे दिखती है इसलिए इसे flame of the forest भी कहा जाता है ।
इसके फूल से केसरिया रंग बनाया जाता है जिसे डाई के रूप मे प्रयोग किया जाता है । जयदेव के गीता-गोविंद मे भी इसकी खूबसूरती व महत्व को बताया गया है ।
6- गुलमोहर
गुलमोहर शहरों और गाँव सभी जगह आपको सड़क किनारे लगे दिख जाते हैं और इसमे जब नारंगी लाल रंग के फूल खिलते हैं तब क्या ही कहना ।
मुझे लगता है कि इस पेड़ की खूबसूरती का हमारे city planners ने सही से उपयोग नहीं किया , अगर कुछ सड़कों के किनारे एक लंबी कतार गुलमोहर की लगा दी जाए तो गर्मियों मे blooming के समय क्या नज़ारा होगा उस जगह पर !!
7- बोटलब्रुश/चील
पार्कों आदि के किनारे अक्सर यह पेड़ आपको दिखता होगा जिसकी ऊंचाई 8-10 के आसपास रहती है और गर्मियों में लाल रंग के फूल लटके रहते हैं, यह देखने मे bottle को साफ करने वाले ब्रुश की तरह होता है इसीलिए इसे bottle-brush भी कहा जाता है ।
इसे आप अपने गार्डेन मे भी लगा सकते है साथ छत पर भी बड़े गमले मे लगा सकते हैं ।
8- पारिजात/हरसिंगार
हरसिंगार यानि जिससे हरि का श्रंगार किया जाता है , इसी से आप इसके महत्व को समझ सकते हैं ।इनकी ऊंचाई समान्यतः 10-12 फुट तक रहती है और इसके रात मे खिलते हैं और सुबह जमीन मे बिखरे पड़े रहते हैं जो आसपास के माहौल को महका के रख देते हैं ।
इसको भी आप अपने गार्डेन या छत पर बड़े गमले मे लगा सकते हैं ।
9- गलगल/ गनेरी
भारतीय उपमहाद्वीप मे पाया जाने वाला यह पेड़ जिस पर पीले रंग के फूल आते हैं , इन्हें काफी पवित्र माना जाता है इसीलिए इसके वानस्पतिक नाम के आगे religiosum जुड़ा हुआ है ।
वैसे ये पेड़ आपको जंगली या ग्रामीण इलाकों मे ही दिख सकता है , शहरों मे यह जल्दी नहीं दिखता है । इसे सिल्क कॉटन ट्री और बटरकप ट्री भी कहा जाता जोकि इसके फूल के आकार और रूप के कारण कहा जाता है ।
10- परिभद्रा
इसे Tiger’s claw या Indian coral tree भी कहा जाता है , इसको पूर्वी एशिया के कई देशों मे ornamental tree के रूप मे बड़े पैमाने पर लगाया जाता है ।
इसके फूल ,बीज , छल आदि का कई आयुर्वेदिक दवाओं मे प्रयोग किया जाता रहा है । श्रीलंका मे इसके लाल फूल को वहाँ के नए साल का द्योतक माना जाता है ।
11- सीता अशोक
यह ओड़ीशा राज्य का राजकीय फूल है , और इसका भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति में काफी महत्व है ।
ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी मे एक अशोक वृक्ष के नीचे ही हुआ था । इसके अलावा रामायण मे माता सीता को रावण ने अशोक वाटिका मे ही रखा जहां परर हनुमान जी से उनकी पहली बार मिलकट हुई थी ।
12- चम्पा
बेहद पवित्र माना जाने वाला चम्पा का फूल आसानी से मैदानी इलाकों मे दिख जाता है , जिसकी ऊंचाई समान्यतः 10-15 फूट तक रहती है ।
इसके फूल बहुत ही सुंदर होते हैं जो सफ़ेद , दूधिया या रानी कलर के होते हैं ।
13- बसंत रानी
इसे पिंक टिकोमा के नाम से भी जाना जाता है , जंगल पठार मे मिलने के अलावा यह कुछ मेट्रो सिटी मे सड़कों के डिवाइडर या किनारों पर अपने खूबसूरत फूलों के कारण लगाया जाता है ।
जनवरी से अप्रैल के बीज इसमे हल्के गुलाबी रंग के फूल खिलते हैं जो 10-15 फीट ऊंचे पेड़ को पूरा गुलाबी कर देता है और देखने वाले देखते ही रह जाते हैं ।
14- नील मोहर
दुनिया भर मे पाया जाने वाला नील मोहर गरम जलवायु मे अच्छे से बढ़ता है और 15-20 फीट तक ऊंचा हो सकता है ।
इसके नीले रंग के फूल बेहद आकर्षक दिखते हैं जोकि बसंत के मौसम मे खिलते हैं । अगर आप भीमताल गए हैं तो जो नीले रंग के फूल वाले पेड़ वहाँ दिखते हैं वह नील मोहर ही है
15- सूरीनाम पाउडर पफ़
बोटल ब्रुश की ही तरह यह भी अक्सर रोड के किनारे आपको दिख जाता होगा , बहुत ही खूबसूरत और प्यारे से लाल रंग के फूल आते हैं इसमें ,कुछ किस्मों मे गुलाबी , गुलाबी-सफ़ेद मिक्स कलर मे फूल आते हैं । साल भर फूल आते रहते हैं इस पेड़ के फूलो पर लगातार काला शकरखोइ आती है और फूलो से रस पीती है अगर हम इस तरह के पेड़ो की संख्या बढ़ाएंगे तो चिडियो के संख्या अपने आप बढ़ने लगेगी
सहजन
सहजन यह पेड़ एक जादुई पेड़ के रूप में जाना जाता है इसके पत्ते , फूल , छाल, फलियाँ ड्रमस्टिक और जड़ सभी के बहुत लाभ है । आयुर्वेद के अनुसार लगभग 200 रोगो का इस एक पेड़ में इलाज छुपा है । इसके पत्तो की जबरदस्त न्युट्रिसन वैल्यू है इसके पत्तो में विटामिन A विटामिन C कैल्शियम , पोटाशिम , आयरन , प्रोटीन काफी अच्छी मात्रा में होता है । और ये पेड़ बहुत तेजी से बढ़ता है हमें अपने शहर में एलोस्टोनिया स्कोलरिस की जगह सहजन के पेड़ लगा देने चाहिए । मोर भी इसके पत्तो को खाता है और भी बहुत से पक्षी इसके पत्तो को खाना पसंद करते है
हम सही पेड़ो का चयन करके ही काफी हद तक बहुत सी विलुप्त होती पक्षियों की प्रजातियों को बचा सकते है । और उस कोयल की आवाज जो शहर के शोर में सुनाई नहीं देती दुबारा सुन सकते है इसके अलावा हमें फलों व छायादार पेड़ भी पार्को में लगाने होंगे जिनसे की पक्षियों को प्राकृतिक भोजन भी मिले । इसे मुख्यत सहतूस , बेर , जामुन , नीम , आम , सहजन , सीसम , अमरुद , आड़ू , नाशपाती , इमली आदि । जो हमारे मौसम और पर्यावरण में अनुकूल है इन पेड़ो की ग्रोथ बहुत तेजी से होती है । क्योकि ये हमारे स्थानीय वृक्ष है पेड़ लगाते समय यह भी ध्यान रखे की ये पेड़ कोई भी 5-6 फुट से कम का न लगाये जिससे इनके होने की और तेजी से बढ़ने की सम्भवना बनी रहे । क्योकी अगर आप 5-6 फुट का पेड़ लगाते है तो इसे कोई पशु अगर खाता भी है तो भी इसे ज्यादा नुकसान नहीं पहुँचता इसके बढ़ने की सम्भवना बनी रहती है ।