पर्यावरण प्रदूषण की कुछ खबरे जो कि अखबार मे प्रकाशित हुई जिन पर मे आपका ध्यान दिलाना छठा हूँ शायद इस पर्यावरण मे प्रदूषण बढ़ाने मे आपका भी कुछ योगदान हो जिसे आप आगे से कुछ कम कर सके । आगे मे कुछ जानकारी जो कि अखबार मे प्रदूषण से सम्बंधित कुछ खबर व् कुछ आँकड़े मै प्रस्तुत कर रहा हूँ
- यह खबर 24 नवंबर 2014 को अमर उजाला मे छपी है । जिस्म मे बताया गया है कि सन 2011 मे 9 करोड़ वाहन सड़क पर है जो कि सन 2030 तक 45 करोड़ हो जायगे यथार्थ सीधा पांच गुना वृद्धि हो जायगी । आकड़ो को देखने के बाद हमें यह समझना चाहिए कि यदि बेहद जरुरी हो तभी आप नया वाहन ले सिर्फ दिखावे के लिए आप नया वाहन ना ले । वाहन द्वारा होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए जैसा कि आप देख रहे है। कि सरकार आगे इलेट्रॉनिक व्हीकल और CNG व्हीकल को बढ़ावा दे रही है । परन्तु ईंधन बदलने से आप हवा की गुणवत्ता थोड़ी बहुत सुधार सकते है लेकिन ध्वनि प्रदूषण को तो आप बढ़ा ही रहे है दूसरा रोड पर जो जाम की समस्या है उसे भी बड़ा रहे है तीसरा एक कार को बनाने में जितना लोहा, पेन्ट, प्लास्टिक, आदि इस्तमाल होता है उस पर भी हमें ध्यान देना होगा । या हम ये कहे कि एक कार कि मनुफैक्चिरिंग में भी बहुत प्रदूषण होता है अर्थात हम प्रकृति को जितना नुकसान पहुँचाएगे उतना ही प्रकृति का क्रोध हमे झेलना पड़ेगा इसमें मै कबीर के एक दोहे का यहाँ वर्णनं करना चाहुँगा ।
- बकरी पाती खात है , ताकि काड़ी खाल ।
- जो नर बकरी खात है तिनको कौन हवाल
- इस दोहे मे कबीर जी ने प्रकृति कि ताकत समझाई है उनका कहना है कि बकरी ने तो प्रकृति से सिर्फ थोड़ी सी पत्ती ही खाई थी तो प्रकृति ने उसकी खाल उतर ली इसमें बकरी का कसूर सिर्फ इतना है की उसने प्रकृति से पत्ती तो ली पर कोई पत्ती या पेड़ नहीं उगाया । जबकि प्रकृति को पता है की बकरी एक पशु है उसे इतनी समझ नहीं है फिर भी प्रकृति को नुकसान पहुंचाने की सजा उसे भुगतनी पड़ती है । लेकिन हम मनुष्य प्रकृति को भिन्न -2 तरीको से बहुत नुकसान पहुँचा रहे है हमने बड़े -2 मकान बना दिए है और उनमे हमने हरियाली के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी हरियाली को हम खत्म करते जा रहे है पिछले कुछ वर्षो में अपने देखा होगा की हमारी आय में जैसे -2 वृद्धि हुई हमने पर्सनल कारों की संख्या बहुत बढ़ा दी । जिसके लिए सरकारों को रोड पहले से ज्यादा चौड़ी करनी पड़ रही है इसके बाद भी रोड पर जाम, एक्सीडेंट , बढ़ते जा रहे है और हमारा हश्र बकरी से भी बुरा होता जा रहा है स्वस्थ्य की स्थिति दिन पर दिन ख़राब होती जा रही है समाज टूटता जा रहा है क्योकि हम प्रकृति से दूर होते जा रहे है इसलिए कबीर जी ने इस दोहे में इस्पष्ट सन्देश दिया है की आप प्रकृति से जितना ले रहे उतना उसे वापस भी दे । अन्यथा आप प्रकृति को जितना नुकसान पहुंचाएंगे प्रकृति उसका कई गुना नुकसान आपको पहुचाएंगी । पर्यावरण को हम इतना नुकसान पंहुचा रहे है की अगर ज़िंदा रहना है तो जीने के तरीको को बदलना होगा । ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती करनी होगी । आज घरो में AC , कारो , फ्रिज , आदि सामानो के बढ़ने से भी वैशिवक ग्रीन हाउस गैसों उत्सर्जन में सन 2010 के स्तर की तुलना में सन 2030 तक 10.6% की वृद्धि होगी । भारत में ख़राब हवा और बढ़ती गर्मी मौत का कारण बनती जा रही है बीते दो दशक यानि सन 2000-2004 से सन 2017-2021 ke दौरान गर्मी के चलते होने वाली मौतो में 55% की बढ़ोतरी हुई है लैंसेंट काउंटडाउन की नीवनतम रिपोर्ट में यहाँ जानकारी सामने आई है ऐसा नहीं है की इन मौतों को रोका नहीं जा सकता लेकिन इसके लिए हवा की गुणवत्ता में सुधार करना होगा । सयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ के अनुसार सन 2050 तक दुनिया का लगभग हर बच्चा लू की चपेट में होगा । अगर हम अपने दिल्ली एनसीआर की ही बात करे तो उद्योगों एवं वाहनों की धुंध से फेफड़े नाकाम हो रहे है वायु प्रदूषण में तैरते कण एवं गैसों की वजह से जानलेवा बीमारीयां फैलाने का खतरा बढ़ गया है अब मौसम के बदलने पर होने वाले खांसी, बुखार , जुखाम जैसी बीमारीयां भी लम्बे समय तक रहती है